हर दिन बढ़ते ठोस कचरे का कैसे हो प्रबंधन, एक्सपर्ट ने दिए अहम सुझाव

राष्ट्रीय ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सम्मेलन का आयोजन
दिल्ली में एकत्र हुए देश भर के विशेषज्ञ, बढ़ते पर्यावरणीय संकट पर उठाए समाधान के कदम
नई दिल्ली : भारत में ठोस कचरे की विकराल होती समस्या के बीच, इंडियन पॉल्यूशन कंट्रोल एसोसिएशन (IPCA) ने आज नई दिल्ली स्थित द अशोक में National Conference on Transformative Approaches for Sustainable Solid Waste Management विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। 25 वर्षों से अधिक के जमीनी अनुभव के साथ, IPCA विकेन्द्रीकृत और समुदाय-आधारित कचरा समाधान में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
यह आयोजन स्वर्ण लता मदरसेन ट्रस्ट की सीएसआर पहल प्रोजेक्ट S.O.R.T. (Segregation Of waste for Recycling and Treatment) के अंतर्गत आयोजित किया गया। वर्ष 2018 से यह पहल स्रोत पर कचरा पृथक्करण, ऑनसाइट ट्रीटमेंट और जन-व्यवहार परिवर्तन को बढ़ावा दे रही है — विशेष रूप से बुल्क वेस्ट जनरेटर (BWG) के बीच, जो स्वच्छ भारत मिशन और भारत की शहरी स्थिरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान है।
श्री तोखन साहू, माननीय राज्य मंत्री, आवासन एवं शहरी के मंत्रालय (MoHUA), भारत सरकार ने अपने वर्चुअल संबोधन में कहा, “हमें अपनी जीरो वेस्ट कि अवधारणा को साकार करने के लिए सामुदायिक-केंद्रित समाधानों की आवश्यकता है। मैं आईपीसीए और एसएलएमटीटी को युवाओं, नागरिकों और संस्थानों को सक्रिय रूप से शामिल करके अपशिष्ट प्रबंधन में स्थायी परिवर्तन लाने के लिए परिवर्तन के लिए आधार तैयार करने के लिए धन्यवाद देता हूं।
सम्मेलन के विशिष्ट अतिथि दिल्ली के महापौर श्री राजा इकबाल सिंह ने कहा:
“अगर हर कॉलोनी ज़ीरो वेस्ट सोसाइटी बनने का संकल्प ले ले, तो दिल्ली से कूड़े के पहाड़ इतिहास बन सकते हैं। जब कचरे का निपटान स्रोत पर ही हो जाए, तो डंपिंग ग्राउंड की आवश्यकता नहीं रहेगी। सरकार पूर्ण सहयोग को तैयार है — लेकिन असली परिवर्तन जनता की भागीदारी से ही संभव है। यही दिल्ली को स्वच्छ, सतत और प्रेरणादायक राजधानी बनाएगा।”
इस अवसर पर स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक डॉ. बिनय कुमार झा, नीति आयोग के परिपत्र अर्थव्यवस्था निदेशक श्री सत्येन्द्र कुमार, और पश्चिमी दिल्ली की जिलाधिकारी श्रीमती वंदना राव, आईएएस सहित कई विशिष्ट अतिथियों ने भाग लिया।
IPCA के संस्थापक एवं निदेशक श्री आशिष जैन ने अपने मुख्य भाषण में कहा:
“ठोस कचरा अब केवल नगर निगमों की चिंता नहीं रह गया — यह एक राष्ट्रीय आपातकाल का रूप ले चुका है। IPCA इस संकट को एक अवसर में बदलने के लिए प्रतिबद्ध है, और हम सरकार से अपील करते हैं कि एक केंद्रीय नीतिगत ढांचा अपनाया जाए जो स्थानीय स्तर की कार्रवाई को सशक्त बनाए।”
सम्मेलन में 250 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिनमें बीएमसी, पीसीएमसी, एमसीजी, एमसीडी, एनआईयूए के वरिष्ठ अधिकारी और एसबीआई कार्ड, एसएलएमटीटी और केपीएमजी के सीएसआर नेता शामिल थे।
तीन प्रमुख विषयों क्रमशः केंद्रीकृत और विकेंद्रीकृत कचरा प्रबंधन के बीच की नीति, क्षेत्रीय कारकों के अनुसार ऑर्गेनिक वेस्ट प्रबंधन की चुनौतियाँ एवं सामाजिक उत्तरदायित्व के माध्यम से समुदाय-नेतृत्व मॉडल को गति पर पैनल चर्चा आयोजित हुईं ।
इन चर्चाओं में NITI Aayog, NDMC, IIT Delhi, NIUA व अन्य प्रमुख निजी व सार्वजनिक संगठनों के विशेषज्ञों ने आधारित आंकड़ों व केस स्टडीज़ के माध्यम से विचार साझा किए।अंत में पर्यावरणीय संरक्षण में उल्लेखनीय योगदान देने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं का सम्मान भी किया गया।
S.O.R.T. परियोजना के सक्रिय स्वयंसेवकों को इस पहल के निष्पादन के दौरान उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रमाण पत्र के साथ सम्मानित किया गया।
यह आयोजन दर्शाता है कि IPCA नीतिगत, औद्योगिक, शैक्षणिक और सामाजिक क्षेत्रों को एक मंच पर लाकर कैसे एक समन्वित समाधान की दिशा में काम कर रहा है। IPCA ने इस अवसर पर दोहराया कि यदि भारत की कचरा समस्या को समय रहते नहीं सुलझाया गया, तो यह केवल राष्ट्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक पर्यावरणीय संकट बन सकती है।