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कांग्रेस के गढ़ में कमल का बीज रोपा था देबेंद्र प्रधान ने, अटल कैबिनेट में थे शामिल

नई दिल्ली : केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के पिता और पूर्व केंद्रीय मंत्री देबेंद्र प्रधान का सोमवार को 84 वर्ष की आयु में दिल्ली में निधन हो गया है। श्री देबेंद्र प्रधान के प्रति भाजपा नेताओं के अपनत्व का आकलन इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के निवास पर पहुंचकर दिवंगत आत्मा को श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने जहां श्रद्धा सुमन भेजा वहीं पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द, लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा, केन्द्रीय मंत्री श्री किरेन रिजिजू, केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर, केंद्रीय मंत्री मंसूख मंडविया, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, केन्द्रीय मंत्री श्री एल मुरूगन, दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान के दिल्ली स्थित आवास पहुंचकर शोक व्यक्त किया।

इसके अलावा ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री मोहनचरण मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री श्री नवीन पट्टनायिक व ओडिशा से विभिन्न संसद सदस्यों, भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने भी श्रद्धांजलि दी।

अटल कैबिनेट में शामिल रहे

ओडिशा में प्रखर राजनेता एवं समाजसेवी के रूप में देबेंद्र प्रधान का योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने ओडिशा में भारतीय जनता पार्टी की राजनीतिक पृष्ठभूमि तैयार करने तथा संगठन को प्रभावी बनने में प्रमुख भूमिका निभाई। डॉ. देबेन्द्र जी का जन्म 16 जुलाई, 1941 को स्व. श्री महेश्वर प्रधान और स्व. श्रीमती चंद्रमा देवी के घर हुआ था। उनका बचपन ओडिशा के तालचेर स्थित नलाम, कानीहा ब्लॉक में बीता। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नलाम प्राथमिक विद्यालय (1948–1952) से शुरू हुई और फिर पवित्र नगर एम.ई. स्कूल (1953–1954), पवित्र मोहन हाई स्कूल (1955–1957), और युगराज हाई स्कूल, तालचेर (1958–1959) में पढ़ाई जारी रखी।

उन्होंने अंगुल कॉलेज (1959–1961) से इंटरमीडिएट साइंस की पढ़ाई की और फिर एस.सी.बी. मेडिकल कॉलेज, कटक (1961–1966) से एम.बी.बी.एस. की डिग्री प्राप्त की। चिकित्सा के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें एस.सी.बी. मेडिकल कॉलेज (1966–1967) में हाउस सर्जन के रूप में काम करने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद उन्होंने सितंबर 1967 में तालचेर के डेरा कोलियरी में सहायक चिकित्सा अधिकारी के रूप में सरकारी सेवा में योगदान दिया। डॉ. देबेंद्र प्रधान का विवाह श्रीमती बसंता मंजरी प्रधान से हुई और जिनके साथ वह सार्वजनिक सेवा के प्रति जीवनभर समर्पित रहे। समाज के प्रति सेवा-मूल्य उनके व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होते थे, उनकी विरासत उनके बच्चों के माध्यम से आज भी जीवित है। उनके दो पुत्र-रत्न में से एक, धर्मेंद्र प्रधान, वर्तमान में भारत सरकार के शिक्षा मंत्री के रूप में सेवायें प्रदान कर रहे हैं।

सरकारी सेवा में एक उज्ज्वल करियर के बावजूद, डॉ. देबेंद्र प्रधान ने स्वयं को जनता के प्रति  समर्पित करने का निर्णय लिया और जनवरी 1973 में, उन्होंने सरकारी चिकित्सा सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर ओडिया समुदाय की सेवा के लिए निजी चिकित्सा प्रैक्टिस शुरू की, जिसमें उन्होंने सहानुभूति और प्रतिबद्धता के साथ काम किया। उनका योगदान केवल स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित न रहकर बल्कि सामाजिक सेवा और कृषि पहलों में भी सक्रियतापूर्ण रहा।  डॉ. देबेंद्र जी ने 10 जनवरी 1980 को भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण कर राजनीति में कदम रखा। उनकी नेतृत्व क्षमता को पहचान उन्हें तालचेर मंडल अध्यक्ष (1980–1983) और अविभाजित ढेंकनाल जिले का अध्यक्ष (1983–1985, 1985–1988) नियुक्त किया गया। उन्होंने 1984, 1991, और 1996 में देवगढ़ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ा। इस दौरान उनके वोट शेयर में 30,000 से लेकर 1,75,000 तक का महत्वपूर्ण इज़ाफा हुआ। उनकी राजनीतिक यात्रा में, उन्हें ओडिशा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष (1988–1990, 1990–1993, और 1995–1997) के रूप में सेवा करने का अवसर  मिला और बाद में उन्हें प्रदेश महासचिव (1993–1995) भी नियुक्त किया गया। सार्वजनिक सेवा के प्रति उनकी दृढ़ता और समर्पण के कारण वे देवगढ़ (1998-1999) से 12वीं लोकसभा के लिए चुने गए और केंद्रीय भूतल परिवहन राज्य मंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान कीं । वहीं 13वीं लोकसभा (1999–2004) के लिए  फिर से निर्वाचित हुए और कृषि राज्य मंत्री (1999–2001) की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी सौंपी गई। 2001 में उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया, जिससे उन्होंने देश की राजनीति में योगदान दिया। इसके बाद 2004 में उन्होंने पल्लहारा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और ओडिशा बीजेपी के स्थायी आमंत्रित सदस्य और राज्य कार्यकारिणी सदस्य (2004–2008) के रूप में पार्टी मामलों में गहराई से शामिल रहे।

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