कंप्यूटरीकरण से प्राथमिक सहकारी समितियों में पारदर्शिता
6 जुलाई 2021 को सहकार मंत्रालाय के गठन के साथ प्राथमिक कृष ऋण समितियां (पैक्स) के डिजिटलाइजेशन को गति मिली है। नाबार्ड और अन्य सरकारी एजेंसियों के जरिए सहयोग प्रदान किया जा रहा है। पैक्स के डिजिटलीकरण के लिए वर्ष 2022 में 2516 करोड़ रुपये जारी किए गए थे। पैक्स के कम्प्यूटरीकरण से लगभग 13 करोड़ किसानों (जिनमें अधिकांश छोटे व सीमांत किसान हैं) को लाभ होगा। केंद्रीय सहकार मंत्रालय की योजना के मुताबिक 63 हजार कार्यात्मक पैक्स का कंप्यूटरीकरण किया जा रहा है।
पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के अंतर्गत साइबर सुरक्षा और डेटा संग्रहण के साथ क्लाउड-आधारित सामान्य सॉफ्टवेयर का विकास होगा। इससे पैक्स को हार्डवेयर व सॉफ्टवेयर का प्रशिक्षण हासिल करने में सहायता मिलेगी। प्राथमिक कृषि ऋण समितियों में अब तक रिकॉर्ड के रखरखाव का अभाव देखने को मिलता था। पैक्स के कंप्यूटरीकरण से महत्वपूर्ण अभिलेखों का डिजिटल माध्यम में संग्रहित किए जा सकेंगे। यह कदम प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के कामकाज में पारदर्शिता एवं दक्षता लाएगा। इससे पैक्स को पंचायत स्तर पर नोडल सेवा वितरण बिंदु बनने में मदद मिलेगी।
इस योजना के क्रियान्वयन के पश्चात पैक्स, डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक (डीसीसीबी), राज्य सहकारी बैंकों नाबार्ड के जरिए एक मंच पर जुड़ जाएंगे।
सहकारिता मंत्रालय ने राज्यों, राष्ट्रीय सहकारी संघों और अन्य सभी हितधारकों के परामर्श से एक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस विकसित करने की प्रक्रिया शुरू की है।
इसी साल अगस्त में बहु राज्य सहकारी समितियों (एमएससीएस) के पुणे स्थित केंद्रीय कार्यालय का कंप्यूटरीकरण किया गया है। कंप्यूटरीकरण की इस योजना से नये एमएससीएस के पंजीकरण को आसान बनाते हुए व्यापार सुगमता लेकर आएगा। सहकारिताओं में डिजिटल अवसरंचना की उपस्थिति की सर्वोत्तम प्रथाओं को राजस्थान में लागू किया गया है। राजस्थान सहकारिता अधिनियम 2001 और सोसायटी पंजीकरण अधिनियम 1958 के तहत सभी प्रकार के ऑनलाइन पंजीकरण कोई भी व्यक्ति घर बैठे कर सकता है। पंजीकरण की प्रत्येक चरण की जानकारी ई-मेल एवं एसएमएस के द्वारा प्राप्त होती है। पंजीकरण पर आवेदक को दस्तावेज डिजिटल रूप में ई-साईन और क्यूआर कोड के साथ मिलता है।