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ननकी राम कंवर के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष ने ऐसा क्या कहा जिस पर राजनीति होना तय है….

रायपुर/04 अक्टूबर 2025। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि “वरिष्ठ भाजपा नेता श्री ननकी राम कंवर आज प्रदेश में फैली प्रशासनिक अराजकता के खिलाफ धरना देने वाले थे, पुलिस ने उनको रास्ते में रोक लिया तथा हाउस अरेस्ट कर लिया गया। यह सरकार की तानाशाही है। ननकी राम प्रदेश के वरिष्ठ नेता है। उन्होंने उनके जिले के कलेक्टर की तानाशाही और प्रशासनिक अमले की अराजकता और भ्रष्टाचार पर कार्यवाही के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जब इतने बड़े भाजपा नेता की सुनवाई नहीं हो रही तो कल्पना कीजिए कि इस सरकार में आम आदमी का क्या हो रहा होगा? ननकी राम को पुलिस से रोकवाने के बजाय मुख्यमंत्री को उनको सीएम हाउस ससम्मान बुलवा कर उनकी मांग का निराकरण करना था, भाजपा के ही राज में भाजपा के वरिष्ठ नेता अपमानित हो रहे है। ननकी राम कंवर अकेले नहीं है साय सरकार की कार्यप्रणाली से कोई भी भाजपा का नेता कार्यकर्ता खुश नहीं है दलीय प्रतिबद्धता के कारण सबकी जबान बंद है। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने उनके पत्र के मुद्दों को संज्ञान लिया था फिर अभी तक कार्यवाही क्यों नहीं हुई?”

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि “भाजपा राज में प्रशासनिक अराजकता हावी है। ननकी राम कंवर ने अपने पत्र में सिल-सिलेवार बताया है कि किस प्रकार से प्रशासनिक अधिकारी भाजपा के कार्यकर्ताओं और पत्रकार को प्रताड़ित कर रहे है। जब भाजपा के कार्यकर्ताओं का यह हाल है तो आम आदमी के साथ यह अधिकारी कैसा सलूक करते होगें, इसकी कल्पना की जा सकती है। ननकी राम कंवर का यह आरोप गंभीर है कलेक्टर डीएमएफ फंड का दुरुपयोग कर रहे व्यक्तिगत लाभ ले रहे। वरिष्ठ नेता के द्वारा मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर की गई शिकायत का निराकरण नहीं होना, बताता है कि प्रशासनिक अराजकता को सरकार का संरक्षण है।”

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि “ननकी राम कंवर ने तो केवल एक जिले के कलेक्टर के बारे में पत्र में लिखा है। पूरे प्रदेश में यही हालात है। ननकी राम कंवर के पहले भाजयुमो के पूर्व अध्यक्ष आदिवासी नेता रवि भगत ने भी बेलगाम नौकरशाही और मंत्री के मनमानी को उजागर किया था। सरकार की कमजोर पकड़ के कारण प्रशासनिक तंत्र बेलगाम हो गया है। पिछले एक साल में राज्य में काम करने की संस्कृति समाप्त हो गई है। आम आदमी अपने रोजमर्रा के कार्यों के लिये सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है, किसी की कही सुनवाई नहीं हो रही है।” सियासी जानकारों का मानना है कि इस मुद्दे पर आने वाले दिनों में भी खूब राजनीति होना तय है…

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