छत्तीसगढ़ महतारी के अमर सपूत हैं अटलजी
जया लक्ष्मी तिवारी : भारतीय राजनीति में विकास के अटल प्रतीक माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का छत्तीसगढ़ से विशेष आत्मीय लगाव था। भारत रत्न श्री अटल जी छत्तीसगढ़ राज्य के निर्माण से लेकर उसकी विकास यात्रा के प्रमुख शिल्पी थे। 1 नवंबर 2000 में प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार ने ही छत्तीसगढ़ के निर्माण को मंजूरी देकर यहां की जनआकांक्षाओं को आकार दिया। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के इस निर्णय का परिणाम यह है कि आज राज्य के 3 करोड़ लोगों के लिए भाजपा एक परिवार की तरह है। छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद अटलजी सर्वप्रथम 2003 के चुनाव में अंबिकापुर आए थे। उस चुनाव में सरगुजा के 8 विधानसभा में से 7 में भाजपा को विजय मिली थी।
अटल जी जब भी छत्तीसगढ़ के प्रवास पर आते थे, एक नारा बहुत लोकप्रिय होता था। आज प्रदेश कल सारा देश। छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ताओं के साथ उनका विशेष लगाव था। अपने चुनावी कार्यक्रमों में वह प्रदेश के कार्यकर्ताओं को भी प्राय: साथ ले जाया करते थे। स्मृति के पन्नों को पलटें तो याद आता है कि 1962 में अटल जी रायपुर प्रवास पर आए थे। यहां उन्होंने रामसागरपारा स्थित किरोड़ीमल धर्मशाला में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की बैठक में मार्गदर्शन किया था।
कवर्धा में सुबह-सुबह अटलजी को सुनने पहुंचे लोग
10 सितंबर 1979 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कवर्धा में एक जनसभा को संबोधित किया था। सातंवीं लोकसभा के गठन को लेकर हो रहे चुनाव के लिए वह देशभर में चुनाव प्रचार कर रहे थे। वह 9 सितंबर 1979 को सड़क मार्ग से कवर्धा पहुंचे थे। कवर्धा के बाद उन्हें जबलपुर जाना था, इसलिए उन्होंने कार्यकर्ताओं को पांच मिनट का समय दिया था। लेकिन कार्यक्रम में आई भीड़ को देखकर वह 22 मिनट तक धारा प्रवाह बोलते रहे। दरअसल रात में पहुंचे अटल जी को सुबह सिर्फ कार्यकर्ताओं से भेंट कर जबलपुर निकलना था। लेकिन रात में ही कार्यकर्ताओं ने उनसे एक चुनावी सभा को संबोधित करने का आग्रह कर डाला। अटलजी के मन में असमंजस था कि आखिर सुबह-सुबह उन्हें सुनने कौन आएगा। लेकिन 10 सितंबर 1979 की सुबह छह बजे उमड़ी भीड़ ने अटल जी की लोकप्रियता को प्रमाणित किया।
1984 में चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को आशातीत सफलता नहीं मिली, लेकिन अटल जी को प्रत्येक चुनौती को अपने परिश्रम से बौना कर देते थे। इसी क्रम में वह सरगुजा प्रवास पर आए थे। यहां स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव, श्री बलिराम कश्यप एवं श्री लखीराम अग्रवाल जी के साथ उन्होंने संगठन कार्यों की समीक्षा कर स्थानीय लोगों से भेंट की थी। यहां उन्होंने सोरनापाल गांव में प्रवास किया था। श्री बलिराम कश्यप के प्रति अटल जी का विशेष स्नेह था, आत्मीयता पूर्वक वह उन्हें काला हीरा कहा करते थे। श्री बलिराम कश्यप के आग्रह पर अटल जी स्वर्गीय नीलमचंद सांखला के यहां शाम का भोजन किया। कहा जाता है कि उस समय भी अटल जी को देखने आसपास के कई गांव से हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे। यहां अटलजी ने सहजता एवं सरलता से जमीन पर बैठकर भोजन किया। 1998 में एक अन्य प्रवास के दौरान पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी ने रायपुर स्थित सप्रेशाला में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। इस चुनाव में पार्टी को 11 में से 8 सीट पर जीत मिली थी। श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ से जुड़े विषयों को हमेशा प्राथमिकता दी। यहां तक की उनके कार्यकाल में ही जनजातियों को राष्ट्र की मूलधारा में लाने के लिए, उनसे जुड़े तमाम मुद्दों का समाधान करने के लिए नये जनजातीय कल्याण मंत्रालय का गठन किया था। इसका प्रत्यक्ष लाभ छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी बाहुल्य राज्य को मिला। 18 से 20 जुलाई 2003 में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति में सम्मिलित होने माननीय अटल जी रायपुर आए थे। भिलाई इस्पात संयंत्र के कार्यक्रम में भी पहुंचकर उन्होंने छत्तीसगढ़ के विकास को लेकर अपनी प्राथमिकता से लोगों को परिचित कराया था। छत्तीसगढ़ महतारी के वात्सल्य प्रेम से अभिभूत श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी को शत-शत नमन….