News

नक्सलवाद के ताबूत में आखिरी कील जवानों ने ठोक दी…

नई दिल्ली और रायपुर से जया तिवारी की रिपोर्ट : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 4 अक्टूबर को बस्तर दौरे पर आए थे, उसके 12 दिन बाद नक्सलवाद के इतिहास में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई हुई है। 17 अक्टूबर को बस्तर में एक साथ 170 माओवादी बंदूक छोड़कर पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ ही नहीं महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओडिसा, झारखंड में भी इतनी बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। सरेंडर की इस कार्रवाई को नक्सलवाद के ताबूत में आखिरी कील के रूप में देखा जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी ट्वीट के जरिए दी है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि उत्तर बस्तर और अबूझमाड़ का नक्सलमुक्त होना यह प्रमाण है कि अब बस्तर भय नहीं, बल्कि विश्वास और विकास की नई पहचान बन चुका है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत आज नक्सलवाद के अंत की दहलीज़ पर खड़ा है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि बीते दो दिनों में 258 नक्सलियों का आत्मसमर्पण इस बात का प्रतीक है कि बंदूक नहीं, बल्कि विश्वास की शक्ति जीत रही है। उन्होंने कहा कि बीते 22 महीनों में छत्तीसगढ़ में 477 नक्सली मारे गए, 2110 ने आत्मसमर्पण किया और 1785 गिरफ्तार हुए — यह आँकड़े हमारे राज्य को नक्सलमुक्त बनाने के अडिग संकल्प के साक्षी हैं।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि 31 मार्च 2026 तक छत्तीसगढ़ को पूरी तरह नक्सलमुक्त बनाने का लक्ष्य अब बहुत निकट है। यह परिवर्तन राज्य सरकार की “नक्सलवादी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025” तथा “नियद नेल्ला नार योजना” की सफलता का प्रत्यक्ष परिणाम है। डबल इंजन सरकार की संवेदनशील नीतियों, बस्तर में लगातार स्थापित हो रहे सुरक्षा शिविरों और वनांचलों में शासन के प्रति बढ़ते विश्वास ने इस सकारात्मक परिवर्तन को संभव बनाया है। उन्होंने कहा कि अब तक नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 64 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए जा चुके हैं, जिससे न केवल सुरक्षा सुदृढ़ हुई है, बल्कि विकास और विश्वास की किरण भी हर गांव तक पहुँची है।

मुख्यमंत्री साय ने हमारे वीर सुरक्षाबलों के अदम्य साहस और बलिदान को नमन करते हुए कहा कि उनके समर्पण से ही आज बस्तर भयमुक्त हुआ है और शांति की राह पर अग्रसर है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर नक्सल आतंक से पूर्णतः मुक्त हो चुके हैं, जबकि दक्षिण बस्तर में यह लड़ाई अपने निर्णायक चरण में है। “नियद नेल्ला नार” जैसी योजनाओं ने बस्तर में संवाद, विकास और संवेदना की नई धरती तैयार की है।

उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार की नीति दो टूक है — हिंसा का कोई स्थान नहीं। जो नक्सली शांति और विकास का मार्ग चुनना चाहते हैं, उनका स्वागत है। लेकिन जो बंदूक उठाकर समाज में आतंक फैलाने की कोशिश करेंगे, उन्हें सुरक्षा बलों की सख़्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।

मुख्यमंत्री ने सभी नक्सलियों से अपील की — “हिंसा की राह अंतहीन पीड़ा देती है, जबकि आत्मसमर्पण जीवन को एक नई दिशा देते हुए एक नई शुरुआत का रास्ता खोलता है। अपनी मातृभूमि के भविष्य और अपने परिवारों के उज्जवल कल के लिए हथियार त्यागें और विकास की रोशनी में कदम रखें।”

उल्लेखनीय है कि देश में नक्सलवाद के खिलाफ चल रही निर्णायक लड़ाई ने एक ऐतिहासिक मुकाम हासिल किया है। केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर पोस्ट कर जानकारी कि छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ और उत्तर बस्तर जैसे क्षेत्र, जो कभी नक्सल आतंक के गढ़ हुआ करते थे, अब पूरी तरह नक्सलमुक्त घोषित किए जा चुके हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button