पुलिस के सामने मानव संसाधन का संकट दूर हो
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जेलों में बंद 76 प्रतिशत कैदी विचाराधीन हैं। वह पुलिसिया जांच और न्यायालयीन सुनवाई के इंतजार में सजा काट रहे हैं। न्यायालयों में 5 करोड़ से अधिक केस लंबित है। उच्च न्यायालयों में 60 लाख 62,953 और जिला एवं निचली अदालतों में 4 करोड़ 41 लाख 35,357 केस लंबित हैं। उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों के 29 प्रतिशत पद रिक्त हैं।
अपराध की जांच में देरी, आरोपपत्र दायर करने में विलंब और न्यायिक मामलों की सुनवाई में लेटलतीफी से विचाराधीन कैदियों की संख्या बढ़ती जा रही है। न्याय में देरी के लिए कानून की खामियों के साथ पुलिस और अदालतों में लगने वाला समय बड़ी वजह है। इसके समाधान के लिए पुलिस और न्यायपालिका के सामने रिक्त पदों का संकट दूर करना होगा। देश में प्रति एक लाख लोगों में 152 पुलिसकर्मी हैं। एक थाने का अमला हत्या,लूट, अपहरण और मारपीट जैसी आपराधिक वारदातों को सुलझाने के साथ ही परीक्षा, मेला, त्योहारों से लेकर वीआईपी लोगों की सुरक्षा तय करता है। थाने के दैनिक कामकाज में वायरलेस, थाने की सुरक्षा के साथ क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएन) में दर्जन भर जवान नियुक्त होते हैं।
अपराधियों से लेकर गुमशुदा की तलाश में यदि थाने से चार पुलिस वालों की टीम कहीं बाहर चली जाए तो संबंधित थाना परिसर में सन्नाटा पसर जाता है। पुलिस वालों के लिए साप्ताहिक अवकाश अब भी कागजों में ही नजर आता है। काम का अत्यधिक दबाव पुलिस की दक्षता को कमजोर करता है। पुलिस को राजनीतिक दबाव मुक्त करने के लिए कई राज्यों में तबादले और नियुक्ति को लेकर पुलिस स्थापना बोर्ड बने, लेकिन शायद ही किसी थाना प्रभारी की नियुक्ति राजनीतिक दखलअंदाजी के बगैर होती हो।
आपराधिक न्याय प्रणाली को सफल बनाने के लिए असरदार कानून जितना आवश्यक है, उतना ही जरुरी इन्हें क्रियान्वित करने वाला मानव संसाधन की उपलब्धता और उसका राजनीतिक दबाव से मुक्त होना है। नये आपराधिक कानून के क्रियान्वय के लिए जल्द इससे जुड़े पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने होंगे। नई आपराधिक न्याय प्रणाली को लेकर समाज विशेष रूप से शैक्षणिक संस्थानों में जागरुकता कार्यक्रम संचालित करना चाहिए। राष्ट्रीय पुलिस अकादमी, राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों और न्यायिक अकादमियों इसके लिए सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों, न्यायाधीश एवं विधि विशेषज्ञों को संबद्ध कर सकती हैं।