Opinion

संस्कार और सरोकार पर टिकी फैमिली बिजनेस की सफलता, दिग्गज उद्योग घरानों के सफलता की कहानी

रायपुर : हम अक्सर बड़े औदयोगिक घरानों में बिजनेस और दौलत के बंटवारे के बारे में सुनते हैं। अंबानी, बिड़ला, गोदरेज, सिंघानिया समेत अनेक बड़े पारिवारिक औद्योगिक घरानों में भी काम और जिम्मेदारियों का बंटवारा होता है। लेकिन कुछ एक अपवाद छोड़ दें तो यह बंटवारा इतना सरल और सहज रूप में होता है कि कई बार तो दुनिया को भी भनक नहीं लगती। आखिर इसके पीछे वजह क्या है। एक ओर जहां घरों में छोटी-छोटी बातों को लेकर भाई-भाई के बीच झगड़े होने लगते हैं, कई बार तो स्थितियां अत्यंत नकारात्मक हो जाती हैं। ऐसे में बड़े कारोबारी घरानों में काम से लेकर संपत्ति के बंटवारे को लेकर जो नीतियां अपनाई जाती हैं, वह सीखने योग्य हैं। खास बात यह है कि उद्योग घराने अपनी आने वाली पीढ़ियों के साथ युवा उद्यमियों को भी संस्कार का बोध करा रहे हैं। 11 जून को सीआईआई छत्तीसगढ़ द्वारा ऐसा ही एक बेहतरीन आयोजन किया गया। इसमें प्रदेश के दिग्गज उद्योगपतियों और कारोबार की दुनिया में कदम रख रहे युवाओं को आमंत्रित किया गया। सरल शब्दों में समझें तो विषय था पारिवारिक कारोबार में कार्य और जिम्मेदारियों का विभाजन। इस आयोजन के पहले सत्र में श्री कमल सारडा, चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर सारडा एनर्जी एंड मिनिरल्स लि, बीएल अग्रवाल एमडी गोदावरी पावर एंड इस्पात लि. नरेंद्र गोयल एमडी श्री बजरंग पावर एंड इस्पात लि. ने जिस स्पष्टता के साथ अपने विचार युवा उद्यमियों के साथ साझा किए वह अनुकरणीय है। कमल सारडा ने फैमिली बिजनेस के लिए पारिवारिक संस्कारों, नैतिक मूल्य, व्यावसायिक दृष्टिकोण (प्रोफेशनल अप्रोच) को पहली आवश्यकता बताया। उन्होंने अपने परिवार का उदाहरण देकर लोगों को बताया कि कैसे उन्होंने अपने बेटे अनंत और पंकज को उनकी दिलचस्पी के अनुरूप कार्य करने की स्वतंत्रता तो दी लेकिन उन्हें कोई भी चीज परिश्रम और स्वयं को साबित करने के बाद ही प्राप्त हुई है। दोनों ही बेटों की पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने कंपनी के हर विभाग में बतौर ट्रेनी से शुरूआत की। इससे उनके भीतर बॉसिज्म और कथित अहंकार की भावना खत्म हुई। एक दिलचस्प कहानी सुनाते हुए उन्होंने कहा कि छोटे बेटे अनंत को उन्होंने फाइनेंस में एमबीए करने का सुझाव दिया, जो उसे स्वीकार्य नहीं था। इस पर उन्होंने अपना विचार थोपने के बजाय उसे सिर्फ इतना कहा कि आप तीन दिन के लिए पुणे में अनिल लांबा जी से मिलकर आओ, वह एक फाइनेंस की दुनिया के वह एक बेहतरीन गुरू हैं। दरअसल, अनंत को फाइनेंस विषय के महत्व को समझाने के लिए उस क्षेत्र के जानकार और विशेषज्ञ के पास भेजा। इसके बाद अनंत ने तो ठान ही लिया कि मुझे अब फाइनेंस में ही आगे बढ़ना है। कमल सारडा कहते हैं कि मैंने अपने परिवार के हर सदस्य की शिक्षा पर सर्वाधिक जोर दिया, उनकी योग्यता के अनुरूप उनका नियोजन किया। आज सभी अपने-अपने क्षेत्र में बेहतरीन कार्य कर रहे हैं।

परिवार की एकजुटता सिर्फ ‘त्याग’ से संभव है

प्रसिद्ध उद्योगपति बीएल अग्रवाल कहते हैं, मेरा परिवार सात भाइयों का बड़ा परिवार है। मेरे पोते भी काम पर लग चुके हैं। परिवार को साथ में रखने का एक ही तरीका है वह है त्याग। यदि बड़ों के भीतर त्याग की भावना होती है तो वह छोटों को भी प्रेरित करेगी। परिवार में सभी की सोच अलग-अलग हो सकती है, लेकिन उनकी मानसिकता के अनुरूप व्यक्तिगत जिम्मेदारी देनी होगी। ज्ञान एवं अनुभव दोनों अलग-अलग चीज हैं। नई पीढ़ी को जब यह दोनों चीज मिलती है तो उसके लिए थोड़ा राह आसान होती है।

फैमिली कॉन्स्टिट्यूशन पर जोर

कार्यक्रम के दौरान फैमिली कॉन्स्टिट्यूशन जैसी व्यवस्था पर भी काफी विचार विमर्श हुआ। इस पर कमल सारडा कहते हैं कि इस बारे में जरुर सोचना चाहिए। इसके लिए अच्छे प्रोफेशनल की सेवाएं लेनी चाहिए। थर्ड पार्टी को जब हम शामिल करते हैं तो वह परिवार के सभी सदस्यों से मिलती है, उनके अनुभव प्राप्त करती है।

संवाद से समाधान- नरेश गोयल

उद्योगपति नरेश गोयल कहते हैं कि पिता जी अक्सर कहा करते हैं कि आप सब खुलकर बात करो। संवाद से ही समाधान निकाला जा सकता है। हम रविवार को सभी भाई बैठते हैं। कई बार तो हमारे रिश्तेदार भी कहते हैं आप लोग भाई हैं या दोस्त। हमारा परिवार सिद्धांत व संस्कार से चलता है।


कार्यक्रम का सीआईआई छत्तीसगढ़ के चेयरमैन संजय जैन ने सफलतापूर्वक संचालन किया। बजरंग गोयल ने आभार प्रदर्शन करते हुए युवा उद्यमियों से छत्तीसगढ़ के पारिवारिक उद्योग घरानों की समृद्ध विरासत से सीखने का आह्वान किया। कार्यक्रम में नुवामा प्राइवेट के प्रैक्टिस हेड आरिफ शेख और कैरनेलियन एसेट के संस्थापक विकास खेमानी ने इस क्षेत्र से जुड़ी बारीकियों को प्रजेंटेशन के जरिए लोगों के सामने रखा। कार्यक्रम में प्रसिद्ध उद्योगपति रमेश अग्रवाल, सीआई से श्वेता शॉजेंन समेत अनेक युवा उद्यमी उपस्थित रहे।

(लेखक :अरविंद मिश्रा)

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