उत्तराखंड की “पछ्याण” का संस्कार भारती कला संकुल में विशेष चित्रकला प्रदर्शन

नई दिल्ली : दिल्ली स्थित संस्कार भारती के प्रतिष्ठित स्थापत्य कला केंद्र कला संकुल (दीनदयाल उपाध्याय मार्ग) में, हल्द्वानी (नैनीताल) की रंगगीत आर्ट सेंटर द्वारा उत्तराखंड की कला और कलाकारों को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के उद्देश्य से “पछ्याण” शीर्षक से 18 मई से पांच दिवसीय सामूहिक चित्रकला प्रदर्शनी का आयोजन किया जा रहा है, जो 22 मई तक चलेगी। इस प्रदर्शनी में देश के प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ-साथ उत्तराखंड के उदीयमान युवा कलाकारों की विशेष भागीदारी देखी जा रही है।
उत्तराखंड की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी इस प्रदर्शनी में पारंपरिक लोकसंस्कृति की छाया में रचे गए समकालीन चित्रों के माध्यम से युवा कलाकारों के प्रयास स्पष्ट रूप से उभर कर सामने आते हैं। “पछ्याण” — जिसका तात्पर्य ‘पहचान’ है — के माध्यम से उत्तराखंड की सांस्कृतिक अस्मिता को एक नई ऊर्जा, नया स्वर और एक सशक्त मंच प्राप्त हो रहा है।
प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में संस्कार भारती केंद्रीय कार्यकारिणी सदस्य एवं केंद्रीय कार्यालय सचिव श्री अशोक तिवारी, कला संकुल के कार्यालय प्रबंधक श्री दिग्विजय पांडेय, केंद्रीय ललित कला अकादमी से संबद्ध कार्यक्रम संयोजक श्री हिमांशु डबराल तथा वरिष्ठ कलाकार नवल किशोर और अजय समीर की गरिमामयी उपस्थिति रही।
प्रदर्शनी में प्रस्तुत कृतियों में कलाकारों ने उत्तराखंड के पहाड़ी जीवन, वहाँ की भौगोलिक चुनौतियाँ, लोकसंस्कृति और दैनिक संघर्षों को अत्यंत गहराई और संवेदनशीलता से उकेरा है। स्थानीय जीवन के रंग, महिलाओं की भूमिका, पर्वतीय सादगी और जीवट — इन सभी को भावपूर्ण अभिव्यक्ति मिली है। कुछ कृतियों में ऐपण जैसी पारंपरिक लोककला को समकालीन दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है, जिससे दर्शक अपनी सांस्कृतिक जड़ों से और भी अधिक जुड़ते हैं।
प्रदर्शनी में जिन कलाकारों की कृतियाँ प्रदर्शित की गई हैं, उनमें शामिल हैं:
त्सेरिंग नेगी, प्रियोम तालुकदार, कुसुम पांडेय, पपिल मन्ना, मनींदर सिंह धुन्ना, शानू शर्मा, चेतन जोशी, कविश नबियाल, रितिका भट्ट, दीपांशु डुग्ताल, खस्ती पलाड़ी, रिया कबडाल और अर्चिता पाढ़ियार।
संस्कार भारती – कला संकुल, दिल्ली के कला प्रेमियों के लिए एक प्रतिष्ठित सांस्कृतिक केंद्र है। इसके भूतल पर मंचीय कला प्रस्तुतियों का आयोजन होता है, जबकि प्रथम तल पर स्थित आर्ट गैलरी है जो भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित विविध कला विधाओं को एक उत्कृष्ट मंच प्रदान करती है। यहाँ आयोजित मासिक संगोष्ठियों में वैचारिक विमर्श के साथ-साथ नृत्य, संगीत, काव्य और अन्य सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी नियमित रूप से होती हैं।