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राम मंदिर आंदोलन के अगुआ थे डॉ. रामविलासदास वेदान्ती, निधन से देश में छाई शोक की लहर

रायपुर 15 दिसंबर 2025 : अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के अगुवा संत व पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती का 75 साल की आयु में निधन हो गया। मध्य प्रदेश के रीवा में प्रवास के दौरान उनका निधन हो गया । उल्लेखनीय है कि रीवा में ही उनका जन्म हुआ था। 12 वर्ष की उम्र में घर छोड़कर वह अयोध्या चले गए। अयोध्या राम मंदिर आंदोलन के अगुवा संत व पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती का 75 साल की आयु में निधन हो गया. मध्य प्रदेश के रीवा में प्रवास के दौरान उनका निधन हो गया. उल्लेखनीय है कि रीवा में ही उनका जन्म हुआ था। 12 वर्ष की उम्र में घर छोड़कर वह अयोध्या चले गए। उनका पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जा रहा है। उनके निधन की खबर से पूरी रामनगरी में शोक की लहर है।

राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख आधार और पूर्व बीजेपी सांसद डॉ रामविलास वेदांती का जन्म 7 अक्टूबर 1958 को मध्य प्रदेश के रीवा जिले के गुढ़वा गांव में हुआ था। सादगी भरी जिंदगी से प्रेरित होकर संत बने वेदांती ने अयोध्या में हनुमानगढ़ी के महंत अभिराम दास के शिष्य के रूप में दीक्षा ली। वह प्राय: अपनी जन्मभूमि रीवा लौटते थे और रामकथा का आयोजन करते थे। 15 दिसंबर 2025 में रीवा में रामकथा के दौरान उनका स्वास्थ्य बिगड़ने और कोहरे के कारण एयर एंबुलेंस के लैंड न कर पाने के बाद, उन्होंने वहीं अंतिम सांस ली, जहां उनका जन्म हुआ था। रीवा के लोग उन्हें अपने बीच का मानते थे और उनके योगदान पर गर्व करते हैं।

उनका पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जा रहा है। उनके निधन की खबर से पूरी रामनगरी में शोक की लहर है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने रामभक्ति की अमर प्रतिमूर्ति, श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के अग्रणी स्तंभ, पूर्व लोकसभा सांसद एवं संत परंपरा के महान प्रतिनिधि परम पूज्य श्रद्धेय स्वामी डॉ. रामविलासदास वेदान्ती जी के देवलोकगमन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि स्वामी डॉ. रामविलासदास वेदान्ती जी का देवलोकगमन समस्त रामभक्तों, सनातन समाज और राष्ट्र के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन श्रीराम के काज, धर्म-संरक्षण और लोककल्याण के लिए समर्पित कर दिया। उनका तपस्वी जीवन, स्पष्ट वैचारिक दृष्टि और निर्भीक राष्ट्रवादी चिंतन समाज को युगों तक मार्गदर्शन देता रहेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के दौरान स्वामी वेदान्ती जी का योगदान ऐतिहासिक और अविस्मरणीय रहा है। उन्होंने अपने आचरण, विचार और संघर्ष से यह सिद्ध किया कि संत परंपरा केवल साधना तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्र और समाज के उत्थान की सशक्त शक्ति है।

मुख्यमंत्री साय ने कहा कि स्वामी वेदान्ती जी का ओजस्वी व्यक्तित्व, धर्म के प्रति अटूट निष्ठा और लोकहित के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा। उनके द्वारा स्थापित आध्यात्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों की विरासत सदैव जीवंत रहेगी।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने दिवंगत संत के श्रीचरणों में विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए ईश्वर से प्रार्थना की कि वे पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें तथा शोकाकुल अनुयायियों और श्रद्धालुओं को इस दुःख को सहन करने की शक्ति प्रदान करें।

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