आपदा प्रबंधन एक दीर्घकालिक प्रशिक्षण और अभ्यास का विषय होने के साथ यह त्वरित निर्णय और समन्वय से आगे बढ़ता है. हालही में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के विद्युत उपकेंद्र में आग के दौरान राहत एवं बचाव का आदर्श उदाहरण पेश किया गया.
रायपुर : राज्य विद्युत विभाग के रायपुर के गुढ़ियारी स्थित केंद्रीय भंडार में 5 अप्रैल 2024 को लगी भयंकर आग को लेकर जाँच कमेटी अलग-अलग बिंदुओं से घटना की पड़ताल कर रही है. आग की मूल वजह क्या थी, यह तो जाँच टीम की रिपोर्ट से पता चलेगा, लेकिन इस पूरी घटना के जिस तरह राहत एवं बचाव कार्य संचालित किया गया, उससे आपदा प्रबंधन को लेकर राज्य सरकार की तत्परता प्रमाणित हुई है. इस भीषण आग के संभावित हानि को रोकने में अलग-अलग एजेंसियों जैसे फायर ब्रिगेड, पुलिस, नगर निगम एवं स्थानीय प्रशासन ने जिस तरह का समन्वय दिखाया वह अनुकरणीय है.
सीएम विष्णु देव साय ने बढ़ाया आत्मविश्वास
आपदा प्रबंधन एक दीर्घालिक प्रशिक्षण एवं अभ्यास का क्षेत्र होने के साथ इसमें त्वरित निर्णय की विशेष अहमियत है. गुढ़ियारी के विद्युत केंद्र में आग लगने की जानकारी मिलते ही चुनावी व्यस्तता के बीच सभी कार्यक्रम निरस्त कर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय खुद मौके पर पहुंचे, इससे आग बुझाने में जुटे राहत व बचाव दल के सदस्यों का न सिर्फ मनोबल बढ़ा बल्कि इससे मुख्यमंत्री श्री साय की संवेदनशीलता फिर दिखी है. ऐसे समय में जब ट्रांसफॉर्मर विस्फोटक की तरह फट रहे थे, उस वक़्त मौके पर पहुंचकर उन्होंने राहत कार्यों में जुटे अधिकारियों और कर्मचारियों को सूझबूझ से कार्य करने का हौसला बढ़ाया।
हर विभाग के बीच दिखा समन्वय
आग के बारे में कहा जाता है कि वह पानी से बुझती है लेकिन तेल की आग पर पानी भी बेअसर होता है। एक ओर 132 के.वी. क्षमता का विद्युत उपकेंद्र जहाँ सैकड़ों की संख्या में ट्रांसफार्मर और तेल बंद ड्रम रखे थे वहीं और दूसरी ओर घनी बस्ती. ऐसे में जरा सी लापरवाही बड़े जोखिम की वजह बन सकती थी। ऐसे समय में तेल के ड्रमों को वहां से जिस समझदारी के साथ हटाया गया, उससे राहत एवं बचाव दल की दक्षता तथा कौशल उभरकर सामने आया। घटना की जानकारी मिलते ही घटना स्थल की ओर जाने वाले रास्ते की ओर जाने वालों को रोकने के लिए यातायात पुलिस सक्रिय हुई। फायर ब्रिगेड के वाहन जिस तत्परता से मौके पर पहुंचे. आसपास बड़ा हादसा न होइसलिए विद्युत आपूर्ति भी कुछ स्थानों पर रोक दी गई। इसी तरह दमकल वाहनों के लिए रुट क्लियर किया गया। यही नहीं आसपास के अस्पतालों व एम्बुलेंस को अलर्ट मोड पर रहने का निर्देश दिया गया था।
यक़ीनन हर विभाग ने जिस तरह आग पर काबू करने को लेकर सक्रियता दिखाई वह अनुकरणीय है।
ऊर्जा विभाग के सचिव श्री पी दयानन्द ने मोर्चे पर डटे रहे
आपदा प्रबंधन का सबसे बड़ा सिद्धांत है, न्यूनतम क्षति के साथ संकट से निजात. छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के क्षेत्रीय भंडार के अग्निकांड में जन हानि न होना और आम जनता की निजी संपत्तियों का लेशमात्र भी नुकसान न होना आपदा प्रबंधन की सबसे बड़ी कसौटी थी. इस मानक और चुनौती में खरा उतरना राहत भरा है. शहर के बड़े हिस्से में विद्युत आपूर्ति करने वाला 132 केवी उपकेंद्र, ऑयल के ड्रम, लगभग 100 ट्रांसफार्मर और अन्य कीमती उपकरण आग की भेंट चढ़ने से बच गए. राहत एवं बचाव कार्य के इस आदर्श उदाहरण में छत्तीसगढ़ पावर कंपनियों के अध्यक्ष और ऊर्जा विभाग के सचिव श्री पी. दयानंद शुरू से ही मोर्चे पर डटे रहे. श्री दयानंद लगातार राहत एवं बचाव टीम के सदस्यों को प्रेरित करते रहे, उनके निर्देश पर संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित होती रही. ख़ास बात यह है की श्री पी दयानन्द आपदा प्रबंधन को लेकर विभागीय तैयारियों की समीक्षा के दौरान पहले भी कह चुके हैं कि दुर्घटना न हो, इससे सुखद कुछ हो नहीं सकता, लेकिन यदि कुछ अनहोनी घट ही गई हो, तो संसाधनों के बेहतर समन्वय और सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन का कोई विकल्प नहीं होता. यही व्यावहारिक सिद्धांत 5 अप्रैल को कारगर साबित हुआ.
जाहिर है कि ऐसी कठिन परिस्थितियों के बीच वही व्यक्ति काम कर पाता है, जो यह जानता हो कि प्रिवेंटिव मेन्टेनेन्स की अपनी अहमियत है, लेकिन जब कोई आपदा आ ही गई हो तो उससे निपटने का हर संभव और श्रेष्ठतम प्रबंधन ही राहत एवं बचाव का सर्वश्रेष्ठ रास्ता होता है.
स्थानीय लोगों ने भी पेश की मिसाल
राहत एवं बचाव का कोई भी कार्य स्थानीय लोगों के सहयोग से ही सफल होता है. इस घटना ने आपदा प्रबंधन में सामुदायिक भागीदारी के सिद्धांत को भी प्रासंगिक करार दिया है. घटना से जुड़े कुछ वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुए हैं, जिसमें स्थानीय लोग तेल भरे ड्रमों को धकेलकर आग की जद से दूर ले जाते नज़र आ रहे हैं. हालांकि राहत एवं बचाव कार्य में जुटी टीम व स्थानीय लोगों के साहस और जज्बे को सलाम करने के बजाय जो लोग दूरबीन लेकर लापरवाही तलाश रहे हैं, यह यक़ीनन दुर्भाग्यपूर्ण है.
उमेश मिश्र, छत्तीसगढ़ जनसंपर्क से संबद्ध हैं.